ऐतिहासिक छतरी
यह छतरी 17वीं शताब्दी की है।उस समय जसवंतसिंह प्रथम जोधपुर के शासक थे।औरंगजेब मारवाड़ की रियासत को अपने हस्तगत करना चाहता था,इसलिए जसवंतसिंह को अफगानिस्तान मनसबदार बना के भेज दिया।जहां पठानो के संघर्ष में उनका निधन हो गया।वहीं जमरूद में उनकी रानी आदमजी ने अजीतसिंह को जन्म दिया जिसको औरंगजेब मारवाड़ का उतराधिकारी नहीं मानता था।फलस्वरुप छ्द्म से अजीतसिंह को दिल्ली बुलाकर कैद कर लिया।जिसको वीर दुरगादास अपनी कूटनीति से छुड़ाकर वापस लाए तथा कालींन्द्री सिरोही में रखा।इसी दौरान दुरगादास राठौड़ तथा औरंगजेब की सेनाओं के मध्य छापामार युद्ध होते थे।तालाब में पानी की प्रचुरता से अपने गांव के पास भी इन्ही के बीच कोई युद्ध हुआ था ,जिसमें कोई बड़ा ठाकुर काम आया था।उन पर यह छतरी बनी है।शिलालेख की भाषा स्पष्ट नहीं है।बढाल भाखर का पत्थर हवा की मार से घिस गया है । |
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